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सृष्टि पर मानव जाती की शरुआत कैसे हुए

सृष्टि के सर्जनहार

हिन्दू शास्त्र में प्रमुख त्रिदेव बताये गये हे|बह्रमा विष्णु और महेश|जिसमे बह्रमाजी को सृष्टि के सर्जनहार भगवान विष्णु को सृष्टि के पालनहार और महेश यानि कि भगवान महादेव को विनाश के देवता माना जाता हैं| 

पृथ्वी पर जन्म लेने वाले प्रथम मनुष्य

सनातन धर्म के अनुसार बह्रमा सर्जन के देवता हैं और सृष्टि के सर्जन के लिए बह्रमाजी ने आपने मानस पुत्रों का सर्जन किया|पुराणों के अनुसार बह्रमपुत्र मनु को पृथ्वी पर जन्म लेने वाले प्रथम मनुष्य माना जाता हैं| एश्के एलावा बह्रमाजी के छे और प्रमुख पुत्र थे|सनकानदीक,ऋषिसनक,सनन्दन ,पुलश्रीत,नारद मुनि और दक्ष प्रजापति| मान्यता हे की पृथ्वी के सभी मनुष्यों की उत्पति इन्ही पुत्र से हुई हैं| अर्थात पृथ्वी पर मानव जाती की शरुआत यही से शुरू होती हे|

बह्रमाजी के पुत्र 

विविध पुरणों में बह्रमाजी के पुत्र के बारेम विवध बाटे बताई गई हैं|बह्रमपुराण के अनुसार बह्रमाजी ने अपने पुत्रों का निर्माण अपने शरीर से किया था जैसे मन से मरीचि,नेत्र से अत्रि ,मुख से अंगिरस,कण से पुलस्तय,नाभि से पुलह,त्वचा से भृगु,हाथ से कृतु,प्राण से वशिष्ट,अंगुष्ठ से दक्ष,छाया से कंदर्भ,गोद से नारद,इच्छा से सनक सनंदन सनातन और सनतकुमार,शरीर से स्वायंभुव मनु और शतरूपा,एवम ध्यान से चित्रगुप्त|इस चौदह मनु के आलावा विश्वकर्मा,अधर्म,आठवसु,चार कुमार,ग्यारा रूद्र,अरणी,अंगीरा,रुचि,पंचशिखा,वोढू,अपांतरमा,प्रचेता,हंस,यति,आदि मिलकर कुल उनषठ पुत्र थे|अर्थात यह सभी धरती पर रहने वाले मनुष्य के पूर्वज हैं|