ब्रह्मशिरा अस्त्र को रोकने के लिए जब श्रीकृष्ण ने सुदर्शनचक्र चलाया ब्रह्मशिरा अस्त्र को रोकने के लिए क्यों श्रीकृष्ण को सुदशन चक्र चलाना पड़ा ?
जब अर्जुन और अश्व्थामा ने ब्रह्मशिर अस्त्र चलाया क्या होता आखिर दो ब्रह्मशिरा अस्त्र आपसमे टकराते और ब्रह्मशिरा अस्त्र को रोकने के लिए क्यों श्रीकृष्ण को सुदर्शनचक्र चलाना पड़ा कृपया ये जानने के लिए पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि इस कहानी में हम अर्जुन और अश्वत्थामा द्वारा एक साथ छोड़े गए ब्रह्मसीर अस्त्र के बारेमें बताएँगे
अर्जुन और अश्व्थामा ने चलाया ब्रह्मशिरा अस्त्र
परमपिता ब्रह्माजी ने ब्रह्मास्त्र से भी अधिक शक्तिशाली ब्रह्मशिर अस्त्र बनाया था। जैसा कि नाम से पता चलता है इसमें स ब्रह्मास्त्र की तुलना में चार गुना अधिक शक्ति थी महाभारत युद्ध के दौरान धोखे से अश्वत्थामा ने द्रोपदी के पाँचों पुत्रों का वध कर दिया था ।
सत्य का पता चलने पर अश्वत्थामा ग्लानि से भर गए और महर्षि वेदव्यास के आश्रम में जाकर पश्चाताप करने लगे । उधर अश्वत्थामा को ढूढ़ते हुए पांडव महर्षि वेदव्यास की शिबिर तक पोहच गए और आखिर कार अश्व्थामा को ढूँढ ही लिया।
अश्वथ्मा वहां से भाग ही रहे थे की भीम ने उसे रोकने का प्रयास किया, तब घबराए हुए अश्वत्थामा ने बच निकलने का कोई रास्ता न सूझते देख, हाथ में घास का एक तिनका लेकर, मंत्र बुदबुदाना शुरू कर दिया
दो ब्रह्मसीर अस्त्र आपसमे टकराये तो क्या होगा?
आखिर कार अश्व्थामा ब्रह्मसीर अस्त्र प्रकट करने में सफल हो गए और कहा जाओ ब्रह्मसीर अस्त्र “सभी पांडवों का सर्वनाश कर दो ।”ऐसा कहकर अश्वत्थामा ने उस अस्त्र को छोड़ दिया ब्रह्मसीर अस्त्र बड़ी तेजी से पांडवो की और बढ़ने लगा हवा की गति बढ़ गई जिनकी तेज ध्वनि से आकाश गूँजने लगा”
यह देखकर भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा – अश्वत्थामा ने ब्रह्मशिरा अस्त्र का प्रयोग किया है इसे सिर्फ ब्रह्मशिर अस्त्र द्वारा ही रोका जा सकता है। गुरु द्रोणाचार्य ने तुम्हे भी ब्रह्मसीर अस्त्र प्रदान किया हे तुरंत उसका स्मरण करके अश्व्थामा के अस्त्र के प्रभाव को रोको और अपने भइओ तथा समस्त सृष्टि को नष्ट होने से बचालो
अर्जुन ने भी भगवान् श्रीकृष्ण की आज्ञा का पालन करते हुए ब्रह्मसीर अस्त्र का आह्वान किया और कहते हे हे ब्रह्मसीर अस्त्र मेने तुम्हारा स्मरण विवश होकर केवल सृष्टि की रक्षा के लिए किया हे इसीलिए तुम अश्व्थामा के अस्त्र का निवारण करके सृष्टि की रक्षा करना और सबका कल्याण करो साथ ही ऐसा कहते हुए अर्जुन ब्रह्मसीर अस्त्र को आकाश की और छोड़ देते हे
दोनों ब्रह्मास्त्र को तेजी से आगे बढ़ता हुआ देख वेदव्या के शिष्य ने कहा हे महात्मन अगर दो ब्रह्मास्त्र आपसमे टकराएंगे तो सबसे पहले भूलोक का विनास निश्चित हे आप ही इस विनास को रोक सकते हे सृष्टि का नाश होता देखकर वेदव्यासजी अपने तपोबल से दोनों अस्त्रों के बीच में आकर खड़े हो जाते हे और दोनों से कहते हे की सृष्टि की रक्षा के लिए अपने-अपने अस्त्रों को वापस ले लीजिये
अश्वत्थामा की मूर्खता
अर्जुन वेदव्यास की आज्ञा का पालन करते हुए अपना अस्त्र वापस ले लेते हे पर अश्वत्थामा ने कहा कि मुझे अपना अस्त्र रोकना नहीं आता | फिर भी महर्षि वेदव्यास के बार बार समझाने पर ब्रह्मसीर अस्त्र की दिशा बदलते हुए, इस अस्त्र को पांडवों की बहु अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ को नष्ट करने के लिए छोड़ देते हे जिससे की पांडवो का वंश नास हो जाये ऐसा कहकर अश्व्थामा हसने लगे
श्रीकृष्ण अश्वत्थामा को चेतावनी
तब श्रीकृष्ण ने अश्व्थामा से कहा – ये तुम्हारा भ्रम हे की तुम्हारे इस अस्त्र से उत्तरा का गर्भ नष्ट हो जायेगा कभी पाप पुण्य पर विजय नहीं पा सकता असत्य सत्य को कभी नहीं मिटा सकता | ‘उत्तरा को परीक्षित नामक बालक के जन्म का वर प्राप्त है’। उसका पुत्र होगा ही। यदि इस शस्त्र-प्रयोग के कारण मृत हुआ तब भी मैं उसे जीवित करूंगा
श्रीकृष्ण सुदर्शनचक्र
ऐसा कहते हुए श्रीकृष्ण अपना सुदर्शनचक्र चलाते हे और ब्रह्माजी से कहते हे की अश्व्थामा ने ब्रह्मसीर अस्त्र का गलत प्रयोग किया हे – सृष्टि की रक्षा के लिए आप अपना अस्त्र वापस ले लीजिये ब्रह्मदेव सृष्टि के कल्याण हेतु अश्व्थामा के ब्रह्मसीर अस्त्र को वापस ले लेते हे इसी तरह अश्व्थामा के गलत प्रयोग किये हुए ब्रह्मसीरअस्त्र का प्रभाव नष्ट हो जाता हे
श्रीकृष्ण कहते हे उत्तरा का पुत्र जन्म लेगा और वे एक लम्बी आयु तक जीवित रहेगा वो राजा परीक्षित के नामसे प्रसिध्द होगा इस गौर अपराध के लिए श्रीकृष्ण अश्वथामा को दंड देते हुए कहते हे की वे हजारो वर्ष धरती पर मरे मरे फिरते रहोगे
Brahmseera astra Vs Sudarshan Chakra : YouTube Video
FAQ For Brahmseera astra Vs Sudarshanchakra
द्रोण पुत्र अश्वत्थामा ने ब्रह्मशिर अस्त्र का प्रयोग करके जगत में हलचल मचा दी थी।
परशुराम, राम, मेघनाद, भीष्म, द्रोण, कर्ण, अश्वत्थामा और अर्जुन के पास ही इस अस्त्र का आह्वान करने का ज्ञान था।
निष्कर्ष
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