श्रीरामचरितमानस में लंका विजय से पूर्व भगवान श्रीराम ने शिवजी की ‘रुद्राष्टकम’ (Rudrashtakam Stotram Lyrics) स्तुति का पाठ किया था और रावन पर विजयश्री प्राप्त की थी।अगर किसी के जीवन में परेशानियां है या कोई शत्रु परेशान कर रहा हो तो इस स्तुति का पाठ करने के बाद मिलने वाला शुभफल किसी चमत्कार से कम नहीं होता।
इसका पाठ करते समय भावमग्न होकर भगवान शंकर से मन ही मन अपनी कामना को पूरी होने का निवेदन भी करते है। श्रद्धापूर्वक की गई थोड़ी सी प्रार्थना से शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं भगवान शिवजी।
Rudrashtakam Stotram Lyrics Detail:
Album : | Shiv Mala Vol. 2 |
Artist : | Pujya Bhaishree Rameshbhai Oza |
Music Director: | Pujya Bhaishree Rameshbhai Oza |
Lyricist : | Traditional |
Genre : | Stotram |
Rudrashtakam Stotram Lyrics – शिव रूद्राष्टकम हिंदी में अर्थ सहित
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ॥ १॥
हिंदी अर्थ : हे मोक्ष रूप, विभु, व्यापक ब्रह्म, वेदस्वरूप ईशानदिशा के ईश्वर और सबके स्वामी महादेव, मैं आपको नमस्कार करता हूं। निज स्वरूप में स्थित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन, आकाश रूप एवं आकाश को ही वस्त्ररूप में धारण करनेवाले दिगंबर शिवजी मैं ह्रदय से आपको नमस्कार करता हूं।
निराकारमोंकारमूलं तुरीयं गिरा ज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालं गुणागार संसारपारं नतोऽहम् ॥ २॥
हिंदी अर्थ : निराकार, ओंकार (प्रणव) के मूल, तुरीय वाणी (तीनों गुणों से अतीत), ज्ञान और इन्द्रियों से परे, कैलाशपति, विकराल, महाकाल के भी काल, कृपालु, गुणों के धाम, संसार से परे परमेशवर को मैं नमस्कार करता हूं।
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं मनोभूत कोटिप्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारु गङ्गा लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ॥ ३॥
हिंदी अर्थ : जो हिमाचल के समान सदृश गौरवर्ण तथा गंभीर हैं, जिनके शरीर में करोड़ों काम देवों की ज्योति एवं शोभा है, जिनके सिर पर सुंदर तरंगों से युक्त गंगाजी विराजमान हैं, जिनके ललाट पर द्वितीया का चंद्रमा और कंठ में सर्प सुशोभित है।
चलत्कुण्डलं भ्रू सुनेत्रं विशालं प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं प्रियं शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥ ४॥
हिंदी अर्थ : जिनके कानों में कुंडल शोभा पा रहे हैं। सुंदर भ्रुकुटी और विशाल नेत्र हैं, जो प्रसन्नमुख, नीलकंठ और दयालु हैं। सिंहचर्म का वस्त्र धारण किए और मुण्डमाल पहने हैं, उन सबके प्यारे और सबके स्वामी श्रीशंकरजी को मैं भजता हूं।
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प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशम् ।
त्रयः शूल निर्मूलनं शूलपाणिं भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ॥ ५॥
हिंदी अर्थ : प्रचंड, (बल-तेज-वीर्य से युक्त), सबमें श्रेष्ठ, परमेश्वर, अखण्ड, अजन्मा, करोडों सूर्य के समान प्रकाशवाले, तीनों प्रकार के शूलों को निर्मूल करने वाले, हाथ में त्रिशूल धारण किए हुए भाव (प्रेम) के द्वारा प्राप्त होने वाले भवानी के पति श्री शंकरजी को मैं भजता हूं।
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।
चिदानन्द संदोह मोहापहारी प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥ ६॥
हिंदी अर्थ : कलाओं से परे, कल्याणस्वरूप, कल्प का अंत (प्रलय) करनेवाले, सज्जनों को सदा आनंद देने वाले, त्रिपुरासुर के शत्रु, सच्चिदानन्दघन, मोह को हरने वाले, मन को मथ डालनेवाले कामदेव के शत्रु,हे प्रभो, प्रसन्न हो प्रसन्न हो।
न यावद् उमानाथपादारविन्दं भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासम् ॥ ७॥
हिंदी अर्थ : हे उमापति ! जब तक आपके चरणकमलों को (मनुष्य) नहीं भजते, तब तक उन्हें न तो इस लोक में, न ही परलोक में सुख-शांति मिलती है और अनके कष्टों का भी नाश नहीं होता है। अत: हे समस्त जीवों के हृदय में निवास करने वाले प्रभो, प्रसन्न हो।
न जानामि योगं जपं नैव पूजां नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भु तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं प्रभो पाहि आपन्नमामीश शम्भो ॥ ८॥
हिंदी अर्थ : मैं न तो योग जानता हूं, न जप और न पूजा ही। हे महादेव, मैं तो सदा-सर्वदा आप को ही नमस्कार करता हूं। हे प्रभो! बुढ़ापा तथा जन्म(मरण) के दुख समूहों से जलते हुए मुझ दुखी की दुखों से रक्षा कीजिए। हे महेश्वर! हे शंभो, मैं आपको नमस्कार करता हूं।
रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।
ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ॥
हिंदी अर्थ : भगवान रुद्र की स्तुति का यह अष्टक उन शंकर जी की तुष्टि (प्रसन्नता) के लिए ब्राह्मणद्वारा कहा गया । जो मनुष्य इसे भक्तिपूर्वक पढ़ते हैं, उन पर भोलेनाथ विशेष रूप से प्रसन्न होते हैं।
॥ इति श्रीगोस्वामितुलसीदासकृतं श्रीरुद्राष्टकं सम्पूर्णम् ॥
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Rudrashtakam Stotra Lyrics in English – शिव रूद्राष्टकम लिरिक्स
Namaam-Iisham-Iishaana Nirvaanna-Rupam
Vibhum Vyaapakam Brahma-Veda-Svarupam ।
Nijam Nirgunnam Nirvikalpam Niriiham
Cidaakaasham-Aakaasha-Vaasam Bhaje-Aham ॥1॥
Meaning in English: O Ishaan ! I bow to the Lord who is in the form of liberation, capable, omnipresent, Brahma, form of the Vedas, situated in his own form, devoid of qualities, without any choice, innocent, infinite knowledgeable and ubiquitous like the sky ॥1॥
Niraakaaram-Ongkara-Muulam Turiiyam
Giraa-Jnyaana-Go-Atiitam-Iisham Giriisham
Karaalam Mahaakaala-Kaalam Krpaalam
Gunna-Aagaara-Samsaara-Paaram Nato-Aham ॥2॥
Meaning in English: I salute the Lord who is formless, is Omkaararupa and the root cause of everything, is beyond the three states of consciousness, is beyond the path of speech, intellect and senses, is Kailasanath, is formidable and the Kaala of the Mahaakaala, is graceful, is the storehouse of virtues and the savior from the world ॥2॥
Tussaara-Adri-Samkaasha-Gauram Gabhiram
Mano-Bhuuta-Kotti-Prabhaa-Shrii Shariiram ।
Sphuran-Mauli-Kallolinii Caaru-Ganggaa
Lasad-Bhaala-Baale-Indu Kanntthe Bhujanggaa ॥3॥
Meaning in English: Whose complexion is as white as the Himalayas, who is calm and serious, who is as radiant as millions of Cupid, on whose head the beautiful Ganges is waving, on whose forehead the moon is adorned and a garland of serpents adorns the neck ॥3॥
Calat-Kunnddalam Bhruu-Sunetram Vishaalam
Prasanna-Aananam Niila-Kannttham Dayaalam ।
Mrga-Adhiisha-Carma-Ambaram Munndda-Maalam
Priyam Shangkaram Sarva-Naatham Bhajaami ॥4॥
Meaning in English: Whose earrings are shaking, whose eyes and forehead are beautiful and huge, whose face is happy and throat is blue, who is very kind, who wears tiger skin and garland of skulls, I worship that most beloved and master of all, Shiva ॥4॥
Pracannddam Prakrssttam Pragalbham Pare-Iisham
Akhannddam Ajam Bhaanu-Kotti-Prakaasham ।
Tryah-Shuula-Nirmuulanam Shuula-Paannim
Bhaje-Aham Bhavaanii-Patim Bhaava-Gamyam ॥5॥
Meaning in English: I worship the consort of Bhavaani, who is fierce, the best, the argute, the supreme, the perfect, the unborn, radiant like the millions of Sun, destroyer of the world’s sorrow and the one who holds the trident in his hand ॥5॥
Kalaatiita-Kalyaanna Kalpa-Anta-Kaarii
Sadaa Sajjana-Aananda-Daataa Pura-Arii ।
Cid-Aananda-Samdoha Moha-Apahaarii
Prasiida Prasiida Prabho Manmatha-Arii ॥6॥
Meaning in English: Oh, Lord ! You are devoid of growth and decay. You are benevolent and the destroyer of creation. You always give joy to the virtuous. You destroyed Tripurasura. You are the destroyer of fascination and enlightened God. You are the enemy of Kaamadeva, be pleased with me ॥6॥
Na Yaavad Umaa-Naatha-Paada-Aravindam
Bhajanti-Iha Loke Pare Vaa Naraannaam ।
Na Taavat-Sukham Shaanti Santaapa-Naasham
Prasiida Prabho Sarva-Bhuuta-Adhi-Vaasam ॥7॥
Meaning in English: As long as human beings do not worship the feet of Umakanta Mahadeva ji, they never get happiness and peace in this world or in another world, nor their anguish go away. O Lord Shiva, the abode of all the substances ! Be pleased with me ॥7॥
Na Jaanaami Yogam Japam Naiva Puujaam
Natoham Sadaa Sarvadaa Shambhu-Tubhyam ।
Jaraa-Janma-Duhkhau-Agha Taatapyamaanam
Prabho Paahi Aapanna-Maam-Iisha Shambho ॥8॥
Meaning in English: Oh, Lord ! O Shambho ! Oh Isha ! I know nothing of yoga, chanting and worship. O Shambho ! I always bow to you. I am tormented by old age, birth and sorrows, protect me from all these sorrows ॥8॥
Rudraassttaka-Idam Proktam Viprenna Hara-Tossaye ।
Ye Patthanti Naraa Bhaktyaa Tessaam Shambhuh Prasiidati ॥
Meaning in English: For the satisfaction of Lord Shankar, who recite this Rudrashtak with devotion spoken by a Brahmin, Shankar ji is pleased on them ॥9॥
॥ Eti Shri Goswami Tulasidas Kratm Shri Rudrashtakam Sampoornam ॥
Rudrashtakam Stotram Lyrics in Gujarati With Meaning – શ્રીરુદ્રાષ્ટકમ્ : નમામીશમીશાન
નમામીશમીશાન નિર્વાણરૂપં વિભું વ્યાપકં બ્રહ્મવેદસ્વરૂપમ્ ।
નિજં નિર્ગુણં નિર્વિકલ્પં નિરીહં ચિદાકાશમાકાશવાસં ભજેઽહમ્ ॥ ૧ ॥
ગુજરાતી માં અર્થ: હે ઈશાન ,હે મોક્ષ (નિર્વાણ)સ્વરૂપ, હે વિભુ, હે બ્રહ્મ-વેદ-સ્વરૂપ અને વ્યાપક એવા (સર્વ ના સ્વામી) શિવજી, હું આપને નમસ્કાર કરું છું. હે,(માયા થી રહિત) નિજ-સ્વરૂપમાં સ્થિત, નિર્ગુણ, નિર્વિકલ્પ(ભેદ-રહિત), ઈચ્છા -રહિત, ચેતન આકાશ-રૂપ અને આકાશ-રૂપી વસ્ત્ર પહેરનાર (દિગંબર)શિવજી, હું આપને ભજું છું.
નિરાકારમોંકારમૂલં તુરીયં ગિરા જ્ઞાન ગોતીતમીશં ગિરીશમ્ ।
કરાલં મહાકાલ કાલં કૃપાલં ગુણાગાર સંસારપારં નતોઽહમ્ ॥ ૨ ॥
ગુજરાતી માં અર્થ: હે, નિરાકાર, ૐ કારના મૂળ, તુરીય (ત્રણ ગુણો થી અતીત), વાણી-જ્ઞાનથી પર, કૈલાસપતિ, વિકરાળ, કાળના પણ કાળ, કૃપાળુ, ગુણોના ધામ, સંસારથી પર-શિવ-પરમેશ્વર, હું આપને નમસ્કાર કરું છું.
તુષારાદ્રિ સંકાશ ગૌરં ગભીરં મનોભૂત કોટિપ્રભા શ્રી શરીરમ્ ।
સ્ફુરન્મૌલિ કલ્લોલિની ચારુ ગઙ્ગા લસદ્ભાલબાલેન્દુ કણ્ઠે ભુજઙ્ગા ॥ ૩ ॥
ગુજરાતી માં અર્થ: જે હિમાલય જેવા સફેદ ને ગંભીર છે, જેમ જેનું શરીર કરોડો કામદેવની જ્યોતિ અને શોભા સમાન છે, જેમના મસ્તક પર કલ્લોલ કરતી સુંદર ગંગા વિરાજમાન છે ને બીજનો ચંદ્રમા છે, અને જેમના ગળા માં સર્પ સુશોભિત છે, હું આપને નમસ્કાર કરું છું
ચલત્કુણ્ડલં ભ્રૂ સુનેત્રં વિશાલં પ્રસન્નાનનં નીલકણ્ઠં દયાલમ્ ।
મૃગાધીશચર્મામ્બરં મુણ્ડમાલં પ્રિયં શંકરં સર્વનાથં ભજામિ ॥ ૪ ॥
ગુજરાતી માં અર્થ: જેમના કાન પરનાં કુંડળ હલી રહ્યાં છે, જેમની ભ્રકૃટી સુંદર છે ને વિશાળ નેત્રો છે, જે પ્રસન્ન મુખ, નીલકંઠ અને દયાળુ છે, જેમણે મૃગચર્મ ધારણ કરીને મૂંડમાળ પહેરી છે, એવા સર્વના પ્રિય, સર્વના નાથ, શ્રી શંકરને હું ભજું છું.
પ્રચણ્ડં પ્રકૃષ્ટં પ્રગલ્ભં પરેશં અખણ્ડં અજં ભાનુકોટિપ્રકાશમ્ ।
ત્રયઃ શૂલ નિર્મૂલનં શૂલપાણિં ભજેઽહં ભવાનીપતિં ભાવગમ્યમ્ ॥ ૫ ॥
ગુજરાતી માં અર્થ: પ્રચંડ (રુદ્ર)રૂપ, શ્રેષ્ઠ,તેજતેસ્વી, પરમેશ્વર, અખંડ, અજન્મા, કરોડો સૂર્ય સમાન પ્રકાશવાળા, ત્રણ પ્રકારના દુઃખ (શૂળ) નિર્મૂળ કરનાર, હાથમાં ત્રિશુલ ધારણ કરનાર અને પ્રેમ ભાવથી જ પ્રાપ્ત થઇ શકે તેવા ભવાનીના પતિ, શ્રી શંકરને હું ભજું છું.
કલાતીત કલ્યાણ કલ્પાન્તકારી સદા સજ્જનાનન્દદાતા પુરારી ।
ચિદાનન્દ સંદોહ મોહાપહારી પ્રસીદ પ્રસીદ પ્રભો મન્મથારી ॥ ૬ ॥
ગુજરાતી માં અર્થ: હે, કળાઓથી પર, કલ્યાણ સ્વરૂપ, કલ્પનો અંત(પ્રલય)કરનાર, સજ્જનો ને આનંદ દેનાર, ત્રિપુરના શત્રુ, સચ્ચિદાનંદ-મય, મોહને હરનાર, શિવજી, મારા પર પ્રસન્ન હો પ્રસન્ન હો .
ન યાવત્ ઉમાનાથ પાદારવિન્દં ભજન્તીહ લોકે પરે વા નરાણામ્ ।
ન તાવત્ સુખં શાન્તિ સન્તાપનાશં પ્રસીદ પ્રભો સર્વભૂતાધિવાસમ્ ॥ ૭ ॥
ગુજરાતી માં અર્થ: હે પાર્વતી ના પતિ ,જ્યાં સુધી મનુષ્ય આપના ચરણકમળો ને નથી ભજતો, ત્યાં સુધી એને ના તો આલોકમાં કે ના તો પરલોકમાં પણ સુખ-શાંતિ મળે છે. કે નથી તેના સંતાપો નો નાશ થતો. હે સમસ્ત જીવો ના અંદર નિવાસ કરનાર પ્રભો, આપ મારા પર પ્રસન્ન થાઓ.
ન જાનામિ યોગં જપં નૈવ પૂજાં નતોઽહં સદા સર્વદા શમ્ભુ તુભ્યમ્ ।
જરા જન્મ દુઃખૌઘ તાતપ્યમાનં પ્રભો પાહિ આપન્નમામીશ શમ્ભો ॥ ૮ ॥
ગુજરાતી માં અર્થ: હે પ્રભુ, હું નથી જપ જાણતો, નથી તપ કે પૂજા ને જાણતો, હું તો સદા સર્વદા આપને નમન કરું છું, હે પ્રભો, વૃદ્ધાવસ્થા, જન્મ, મૃત્યુના દુઃખો ના તાપથી તપતા મા રા જેવા દુઃખી ની, દુઃખો થી રક્ષા કરો .જે ઈશ્વર, હું આપણે નમસ્કાર કરું છું.
રુદ્રાષ્ટકમિદં પ્રોક્તં વિપ્રેણ હરતોષયે ।
યે પઠન્તિ નરા ભક્ત્યા તેષાં શમ્ભુઃ પ્રસીદતિ ॥
ગુજરાતી માં અર્થ: ભગવાન રુદ્રનું આ અષ્ટક, શ્રી શંકરની સ્તુતિ છે. જે મનુષ્ય પ્રેમથી (ભક્તિથી) આનું સ્તવન કરે છે, તેના પર ભગવાન શ્રી શંકર પ્રસન્ન થાય છે.
॥ ઇતિ શ્રીગોસ્વામિતુલસીદાસકૃતં શ્રીરુદ્રાષ્ટકં સમ્પૂર્ણમ્ ॥
श्रीरामचरितमानस में लिखित ‘शिव रुद्राष्टकम‘ ( Shiv Rudrashtakam Stotra Lyrics) अपने-आप में अद्भुत स्तुति है। अगर कोई भक्त विनय पूर्वक श्रीरामचरितमानस में वर्णित इस स्तुति का पाठ करता है तो शिव जी उससे प्रसन्न हो अपने भक्त को सभी मनोकामना पूरी करने के साथ हर कार्य में विजयी होने का आशीर्वाद भी देते हैं।
Rudrashtakam | रुद्राष्टकम लिरिक्स | Most POWERFUL Shiva Mantras – Shiv Bhajan
The Rudrashtakam (‘शिव रुद्राष्टकम‘)is an ashtakam or octet (a prayer with eight rhyming verses) dedicated to the manifestation of Shiva, composed by Sri Goswami Tulsidas. Rudra is considered as the fearsome manifestation of Shiva who is to be feared.
This eight-fold hymn of praise was sung to please Shankara. Lord Shiva will be pleased with whomever heart fully recites it.
The Rudrashtakam Stotram is a powerful and highly revered hymn that praises the various aspects and attributes of Lord Shiva. It is an expression of devotion and surrender to the divine qualities of Lord Shiva, who is revered as the destroyer of evil, the embodiment of cosmic consciousness, and the ultimate reality.
शिव रूद्राष्टकम स्त्रोत का महत्व
रुद्राष्टकम स्तोत्रम एक शक्तिशाली और अत्यधिक पूजनीय स्तोत्र है जो भगवान शिव के विभिन्न पहलुओं और गुणों की प्रशंसा करता है। यह भगवान शिव के दिव्य गुणों के प्रति समर्पण और समर्पण की अभिव्यक्ति है, जो बुराई के नाश करने वाले, ब्रह्मांडीय चेतना के अवतार और परम वास्तविकता के रूप में पूजनीय हैं।
रुद्राष्टकम स्तोत्रम भगवान शिव के भक्तों द्वारा उनका आशीर्वाद, सुरक्षा और आध्यात्मिक उत्थान प्राप्त करने के साधन के रूप में जप या पाठ किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसमें नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने, मन को शुद्ध करने और भगवान शिव के साथ भक्ति और संबंध की गहरी भावना पैदा करने की शक्ति है।
शिव रूद्राष्टकम स्त्रोत संरचना:
रुद्राष्टकम स्तोत्रम में आठ छंद होते हैं (इसलिए नाम “रुद्राष्टकम”), प्रत्येक छंद में चार पंक्तियाँ होती हैं। प्रत्येक छंद भगवान शिव के एक अलग पहलू या विशेषण पर प्रकाश डालता है, उनकी महिमा, करुणा और दिव्य गुणों का गुणगान करता है।
शिव रूद्राष्टकम स्त्रोत के फायदे – Benefits of Shiv Rudrashtakam Stotram
रुद्राष्टकम स्तोत्रम, भगवान शिव को समर्पित एक शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है जो लोग भक्ति के साथ इसका पाठ या जप करते हैं, उन्हें कई लाभ मिलते हैं।
यहाँ शिव रुद्राष्टकम स्तोत्रम का नियमित रूप से अभ्यास करने के कुछ लाभ हैं:
- बाधाओं को दूर करना: ऐसा माना जाता है कि रुद्राष्टकम स्तोत्रम का ईमानदारी और भक्ति के साथ पाठ करने से किसी के जीवन से विभिन्न बाधाओं और चुनौतियों को दूर करने में मदद मिल सकती है।
- आध्यात्मिक उत्थान: रुद्राष्टकम स्तोत्रम का जाप करने से भगवान शिव के साथ आध्यात्मिक संबंध को गहरा करने में मदद मिल सकती है। इसे आध्यात्मिक विकास, ज्ञान और आंतरिक शांति प्राप्त करने का साधन माना जाता है। यह भजन मन को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक अनुभवों के अनुकूल पवित्र वातावरण बनाता है।
- आशीर्वाद और सुरक्षा: भक्तों का मानना है कि नियमित रूप से रुद्राष्टकम स्तोत्रम का पाठ करने से भगवान शिव का आशीर्वाद और दिव्य संरक्षण प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि यह स्तोत्र सकारात्मक ऊर्जा की ढाल बनाता है, नकारात्मक प्रभावों को दूर करता है, और दैवीय कृपा और मार्गदर्शन की भावना लाता है।
- मुक्ति और परिवर्तन: रुद्राष्टकम स्तोत्रम चेतना के परिवर्तन से जुड़ा है। ऐसा माना जाता है कि यह व्यक्तियों को सांसारिक बंधनों से परे जाने में मदद करता है और भीतर की दिव्य प्रकृति को महसूस करके मुक्ति (मोक्ष) की भावना का अनुभव करता है।
- इच्छाओं की पूर्ति: कहा जाता है कि भजन भक्तों को भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की इच्छाओं को पूरा करने में मदद करता है।
रुद्राष्टकम स्तोत्रम एक शक्तिशाली स्तोत्र है जिसका उपयोग भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के लिए किया जा सकता है। यदि आप भगवान शिव से जुड़ने और उनका आशीर्वाद लेने का तरीका ढूंढ रहे हैं, तो रुद्राष्टकम स्तोत्रम एक बेहतरीन विकल्प है।
FAQ For Rudrashtakam Stotram Lyrics:
शिव रूद्राष्टकम् का वर्णन तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस के उत्तर कांड में आता है
शिव रूद्राष्टकम् अष्टकम आठ छंदों का संग्रह हे
This prayer was composed by Swami Tulsidasji
Shri Rudrashtakam is sung by Pujya Bhaishri Rameshbhai Oza
The duration of the song Shri Rudrashtakam is 8:16 minutes.
Shri Rudrashtakam is composed by Pujya Bhaishri Rameshbhai Oza.
Shri Rudrashtakam is a hindi song from the album Shiv Mala
निष्कर्ष:
दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि भगवान् शिव के “Rudrashtakam Stotram Lyrics“ का यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके |
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