Bhavani Ashtakam Lyrics | भवान्यष्टकम्‌ अर्थ सहित : न तातो न माता

Bhavani Ashtakam Lyrics : दोस्तों क्या आप मां भवानी का शरणागति स्तोत्र भवान्यष्टकम्‌ के बारेमे जानना चाहते हे ? तो आपसे अनुरोध है की कुछ समय दे कर पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।

भवान्यष्टकम् आदिगुरु शंकराचार्य की रचना है, जिसमें उन्होंने संसार के सारे रिश्ते-नाते, ऐश्वर्य, स्वयं का सामर्थ्य इन सबको तुच्छ बताते हुए एकमात्र मात भवानि को अपनी गति कहा है।

Song:Bhavani Ashtakam Lyrics
Singer :Madhvi Madhukar Jha
Music Director:Nikhil Bisht and Rajkumar
Lyrics : Adi Shankaracharya
Genre :Stotram
Label :Subhnir Productions

भवान्यष्टकम् Bhavani Ashtakam Lyrics and video song. Lyrics by Sri Adi Shankaracharya, Bhavani Ashtaka Stotra is the prayer to Mother Bhavani, an incarnation of Goddess Parvati

Bhavani Ashtakam Lyrics | भवान्यष्टकम्‌ अर्थ सहित – न तातो न माता

“भवान्यष्टक” श्रीशंकराचार्यजी द्वारा रचित मां भवानी (शिवा,दुर्गा) का शरणागति स्तोत्र है।माँ भवानी शरणागतवत्सला होकर अपने भक्त को भोग,स्वर्ग और मोक्ष प्रदान करती हैं।देवी की शरण में आए हुए मनुष्यों पर विपत्ति तो आती ही नहीं बल्कि वे शरण देने वाले हो जाते हैं।

भवान्यष्टक
न तातो न माता न बन्धुर्न दाता
न पुत्रो न पुत्री न भृत्यो न भर्ता।
न जाया न विद्या न वृत्तिर्ममैव
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥1॥

  • न तातो, न माता – न पिता, न माता
  • न बन्धुर्न दाता – ना सम्बन्धी, न भाई बहन, न दाता
  • न पुत्रो, न पुत्री – न पुत्र, न पुत्री
  • न भृत्यो, न भर्ता – ना सेवक, न पति
  • न जाया, न विद्या – न पत्नी, न ज्ञान
  • न वृत्तिर्ममैव – और ना व्यापार ही मेरे हैं
  • गतिस्त्वं – एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो (तुम्हीं मेरा सहारा हो)
  • गतिस्त्वं – तुम्हीं मेरी गति हो (मैं केवल तुम्हारी शरण हूँ)
  • त्वमेका भवानि – हे भवानी

इसका अर्थ :– हे भवानि! पिता माता भाई दाता पुत्र पुत्री भृत्य स्वामी स्त्री विद्या और वृत्ति–इनमें से कोई भी मेरा नहीं है, हे देवि! एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो, तुम्ही मेरी गति हो।

भवाब्धावपारे महादुःखभीरुः
पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः।
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥2॥

  • भवाब्धावपारे – मैं अपार भवसागर में पड़ा हुआ हूँ,
  • महादुःखभीरु – महान् दु:खों से भयभीत हूँ;
  • पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः – कामी, लोभी, मतवाला तथा
  • कुसंसारपाश-प्रबद्धः सदाहं – कुसंसारके (घृणायोग्य संसारके) बन्धनों में बँधा हुआ हूँ
  • गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि – हे भवानी! अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो। मैं केवल तुम्हारी शरण हूँ।

इसका अर्थ :– मैं अपार भवसागर में पड़ा हूँ महान दु:खों से भयभीत हूँ कामी लोभी मतवाला तथा घृणायोग्य संसार के बन्धनों में बँधा हुआ हूँ, हे भवानि! अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो।

न जानामि दानं न च ध्यानयोगं
न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्।
न जानामि पूजां न च न्यासयोगम्
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥3॥

  • न जानामि दानं – मैं न तो दान देना जानता हूँ और
  • न च ध्यानयोगं – न ध्यान-योग का ही मुझे पता है,
  • न जानामि तंत्रं – तन्त्र का मुझे ज्ञान नहीं है और
  • न च स्तोत्र-मन्त्रम् – स्तोत्र-मन्त्रों का भी मुझे ज्ञान नहीं है
  • न जानामि पूजां – न मैं पूजा जानता हूँ
  • न च न्यासयोगम् – ना ही न्यास योग आदि क्रियाओं का मुझे ज्ञान है
  • गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि – हे देवि! हे भवानी! अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो


इसका अर्थ :– हे देवि!मैं न तो दान देना जानता हूँ और न ध्यानमार्ग का ही मुझे पता है,तन्त्र और स्तोत्र-मन्त्रों का भी मुझे ज्ञान नहीं है, पूजा तथा न्यास आदि की क्रियाओं से तो मैं एकदम कोरा हूँ,अब एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो।

Vakratund Mahakay Ganesh Mantra – वक्रतुण्ड महाकाय

न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं
न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्।
न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥4॥

  • न जानामि पुण्यं – न मै पुण्य जानता हूँ
  • न जानामि तीर्थं – न ही तीर्थों को जानता हूँ,
  • न जानामि मुक्तिं – न मुक्ति का ज्ञान है
  • लयं वा कदाचित् – न लय का (ईश्वर के साथ एक होने का ज्ञान)
  • न जानामि भक्तिं – मुझे भक्ति का ज्ञान नहीं है और
  • व्रतं वापि मात – हे माता! व्रत भी मुझे ज्ञात नहीं है
  • र्गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि – हे भवानी! अब केवल तुम्हीं मेरा सहारा हो, तुम्हीं मेरी गति हो।

इसका अर्थ :– न पुण्य जानता हूँ न तीर्थ न मुक्ति का पता है न लय का। हे माता!भक्ति और व्रत भी मुझे ज्ञात नहीं है, हे भवानि! अब केवल तुम्हीं मेरा सहारा हो।

कुकर्मी कुसंगी कुबुद्धिः कुदासः
कुलाचारहीनः कदाचारलीनः।
कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहम्
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥5॥

  • कुकर्मी कुसङ्गी – मैं कुकर्मी, बुरी संगति में रहने वाला (कुसंगी)
  • कुबुद्धिः कुदासः – दुर्बुद्धि, दुष्टदास
  • कुलाचारहीनः कदाचारलीनः – कुलोचित सदाचार से हीन, दुराचारपरायण (नीच कार्यो में ही प्रवत्त रहता हूँ),
  • कुदृष्टिः – कुदृष्टि (कुत्सित दृष्टि) रखने वाला और
  • कुवाक्यप्रबन्धः सदाहम् – सदा दुर्वचन बोलने वाला हूँ
  • गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि – हे भवानी! मुझ अधम की एकमात्र तुम्हीं गति हो

इसका अर्थ :– मैं कुकर्मी, बुरी संगति में रहने वाला,दुर्बुद्धि,दुष्टदास,कुलोचित सदाचार से हीन,दुराचारपरायण, कुत्सित दृष्टि रखने वाला और सदा दुर्वचन बोलने वाला हूँ,हे भवानि! मुझ अधम की एकमात्र तुम्हीं गति हो।

प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं
दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित्।
न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥6॥

  • प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं – मैं ब्रह्मा, विष्णु, शिव, इन्द्र को नहीं जानता
  • दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित् – न मैं सूर्य को और न चन्द्रमा को जानता हूँ,
  • न जानामि चान्यत् – अन्य किसी भी देवता को नहीं जानता
  • सदाहं शरण्ये – हे शरण देनेवाली माता!
  • गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि – हे भवानी! एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो

इसका अर्थ :– मैं ब्रह्मा विष्णु शिव इन्द्र सूर्य चन्द्रमा तथा अन्य किसी भी देवता को नहीं जानता हे शरण देने वाली भवानि!एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो।

विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे
जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये।
अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥7॥

  • विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे – हे भवानी! तुम विवाद, विषाद में, प्रमाद, प्रवास में
  • जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये। – जल, अनल में (अग्नि में), पर्वतो में, शत्रुओ के मध्य में
  • अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि – और वन (अरण्य) में सदा ही मेरी रक्षा करो,
  • गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि – हे भवानी माँ! मुझे केवल तुम्हारा ही आश्रय है, एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो।

इसका अर्थ : हे शरण्ये!तुम विवाद विषाद प्रमाद परदेश जल अनल पर्वत वन तथा शत्रुओं के मध्य में सदा ही मेरी रक्षा करो,हे भवानि!एकमात्र तुम्हीं मेरी गति हो।

अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो
महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः।
विपत्तौ प्रविष्टः प्रणष्टः सदाहं
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि ॥8॥

  • अनाथो दरिद्रो जरा-रोगयुक्तो – हे माता! मैं सदा से ही अनाथ, दरिद्र, जरा-जीर्ण हूँ
  • महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः – रोगी हूँ मै अत्यन्त दुर्बल, दीन, गूँगा हूँ
  • विपत्तौ प्रविष्टः प्रणष्टः सदाहम् – विपत्तिओं से घिरा रहने वाला और नष्ट हूँ। अत: हे भवानी माँ!
  • गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि – अब तुम्हीं एकमात्र मेरी गति हो, मैं केवल आपकी ही शरण हूँ, तूम्हीं मेरा सहारा हो।

इसका अर्थ :– हे भवानि!मैं सदा से ही अनाथ,दरिद्र जरा-जीर्ण रोगी अत्यन्त दुर्बल दीन गूंगा विपदा से ग्रस्त और नष्ट हूँ,अब तुम्हीं एकमात्र मेरी गति हो।

इति श्रीमच्छड़्कराचार्यकृतं भवान्यष्टकं सम्पूर्णम्।

शिव स्तोत्र की सारी लिरिक्स अर्थ सहित आपको यहाँ मिलेगी 

Bhavani Ashtakam Lyrics with Meaning | भवान्यष्टकस्तोत्रम्

Na Taato Na Maataa Na Bandhur-Na Daataa
Na Putro Na Putrii Na Bhrtyo Na Bhartaa |
Na Jaayaa Na Vidyaa Na Vrttir-Mama-Iva
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvam-Ekaa Bhavaani ||1||

Meaning : Neither the Father, nor the Mother; Neither the Relation and Friend, nor the Donor, Neither the Son, nor the Daughter; Neither the Servant, nor the Husband, Neither the Wife, nor the (worldly) Knowledge; Neither my Profession, You are my Refuge, You Alone are my Refuge, Oh Mother Bhavani.

Bhavaabdhaav-Apaare Mahaa-Duhkha-Bhiiru
Papaata Prakaamii Pralobhii Pramattah |
Ku-Samsaara-Paasha-Prabaddhah Sada-[A]ham
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvam-Ekaa Bhavaani ||2||

Meaning : In this Ocean of Worldly Existence which is Endless, I am full of Sorrow and Very much Afraid, I have Fallen with Excessive Desires and Greed, Drunken and Intoxicated, Always Tied in the Bondage of this miserable Samsara (worldly existence), You are my Refuge, You Alone are my Refuge, Oh Mother Bhavani.

Na Jaanaami Daanam Na Ca Dhyaana-Yogam
Na Jaanaami Tantram Na Ca Stotra-Mantram |
Na Jaanaami Puujaam Na Ca Nyaasa-Yogam
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvam-Ekaa Bhavaani ||3||

Meaning : Neither do I know Charity, nor Meditation and Yoga, Neither do I know the practice of Tantra, nor Hymns and Prayers, Neither do I know Worship, nor dedication to Yoga, You are my Refuge, You Alone are my Refuge, Oh Mother Bhavani

Na Jaanaami Punnyam Na Jaanaami Tiirtha
Na Jaanaami Muktim Layam Vaa Kadaacit |
Na Jaanaami Bhaktim Vratam Vaapi Maatar-Gatis-Tvam
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvam-Ekaa Bhavaani ||4||

Meaning : Neither do I Know Virtuous Deeds, nor Pilgrimage,I do not know the way to Liberation, and with little Concentration and Absorption,I know neither Devotion, nor Religious Vows; Nevertheless Oh Mother,You are my Refuge, You Alone are my Refuge, Oh Mother Bhavani.

Ku-Karmii Ku-Sanggii Ku-Buddhih Kudaasah
Kula-[Aa]caara-Hiinah Kadaacaara-Liinah |
Ku-Drssttih Ku-Vaakya-Prabandhah Sada-[A]ham
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvam-Ekaa Bhavaani ||5||

Meaning : I performed Bad Deeds, associated with Bad Company, cherished Bad Thoughts, have been a Bad Servant,I did not perform my Traditional Duties, deeply engaged in Bad Conducts, My eyes Saw with Bad Intentions, tongue always Spoke Bad Words,You are my Refuge, You Alone are my Refuge, Oh Mother Bhavani.

Praje[a-Is]sham Rame[a-Is]sham Mahe[a-Is]sham Sure[a-Is]sham
Dine[a-Is]sham Nishiithe[a-I]shvaram Vaa Kadaacit |
Na Jaanaami Caanyat Sada-[A]ham Sharannye
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvam-Ekaa Bhavaani ||6||

Meaning : Little do I know about The Lord of Creation (Brahma), The Lord of Ramaa (Goddess Lakshmi) (Vishnu), The Great Lord (Shiva), The Lord of the Devas (Indra),The Lord of the Day (Surya) or The Lord of the Night (Chandra),I do not know about other gods, but always seeking Your Refuge,You are my Refuge, You Alone are my Refuge, Oh Mother Bhavani.

Vivaade Vissaade Pramaade Pravaase
Jale Ca-[A]nale Parvate Shatru-Madhye |
Arannye Sharannye Sadaa Maam Prapaahi
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvam-Ekaa Bhavaani ||7||

Meaning : During Dispute and Quarrel, during Despair and Dejection, during Intoxication and Insanity, in Foreign Land, In Water, and Fire, in Mountains and Hills, amidst Enemies, In Forest, please Protect me, You are my Refuge, You Alone are my Refuge, Oh Mother Bhavani.

Anaatho Daridro Jaraa-Roga-Yukto
Mahaa-Kssiinna-Diinah Sadaa Jaaddya-Vaktrah |
Vipattau Pravissttah Pranassttah Sadaaham
Gatis-Tvam Gatis-Tvam Tvam-Ekaa Bhavaani ||8||

Meaning : I am Helpless, Poor, Afflicted by Old Age and Disease,Very Weak and Miserable, always with a Pale Countenance,Fallen Asunder, Always surrounded by and Lost in Troubles and Miseries,You are my Refuge, You Alone are my Refuge, Oh Mother Bhavani.

Bhavani Ashtakam Lyrics in Gujarati | ભવાની અષ્ટક ગુજરાતી અર્થ સહિત

ન તાતો ન માતા ન બન્ધુર્ન દાતા
ન પુત્રો ન પુત્રી ન ભૃત્યો ન ભર્તા ।
ન જાયા ન વિદ્યા ન વૃત્તિર્મમૈવ
ગતિસ્ત્વં ગતિસ્ત્વં ત્વમેકા ભવાનિ ॥૧॥

ગુજરાતી અર્થ : હે ભવાની ! પિતા, માતા, ભાઇ, દાતા, પુત્ર, પુત્રી, નોકર, સ્વામી, સ્ત્રી, વિદ્યા, વૃત્તિ – આમાંથી કંઇ જ મારું નથી. હે માઁ ભવાની ! તમે જ એકમાત્ર મારી ગતિ છો.

ભવાબ્ધાવપારે મહાદુઃખભીરુ
પપાત પ્રકામી પ્રલોભી પ્રમત્તઃ ।
કુસંસારપાશપ્રબદ્ધઃ સદાહં
ગતિસ્ત્વં ગતિસ્ત્વં ત્વમેકા ભવાનિ ॥૨॥

ગુજરાતી અર્થ : હું વિશાળ ભવસાગરમાં, મહાદુઃખોથી કાયર થઈ પડ્યો છું. હું કામી, લોભી અને પ્રમત્ત બની અનિચ્છનીય એવાં સંસારના બંધનોમાં સદાય બંધાયેલો પડ્યો છું. હે માઁ ભવાની ! હવે તમે જ એકમાત્ર મારી ગતિ છો.

ન જાનામિ દાનં ન ચ ધ્યાનયોગં
ન જાનામિ તન્ત્રં ન ચ સ્તોત્રમન્ત્રમ્ ।
ન જાનામિ પૂજાં ન ચ ન્યાસયોગં
ગતિસ્ત્વં ગતિસ્ત્વં ત્વમેકા ભવાનિ ॥૩॥

ગુજરાતી અર્થ : હું દાન આપવું જાણતો નથી, ધ્યાનયોગની મને ખબર નથી, પૂજા અને મંત્રનું પણ મને જ્ઞાન નથી, પૂજા અને ન્યાસ વગેરે કર્મકાંડથી તો હું તદ્દન અજાણ છું. હે માઁ ભવાની ! તમે જ એકમાત્ર મારું શરણ છો.

ન જાનામિ પુણ્યં ન જાનામિ તીર્થં
ન જાનામિ મુક્તિં લયં વા કદાચિત્ ।
ન જાનામિ ભક્તિં વ્રતં વાપિ માતઃ
ગતિસ્ત્વં ગતિસ્ત્વં ત્વમેકા ભવાનિ ॥૪॥

ગુજરાતી અર્થ : હું પુણ્ય જાણતો નથી, ન તો તીર્થ, લય કે મુક્તિનું મને ભાન છે, હે માતા ! ભક્તિ કે વ્રત પણ મને ખબર નથી. હે માઁ ભવાની ! હવે તો તમે જ કેવળ મારું શરણ છો.

કુકર્મી કુસઙ્ગી કુબુદ્ધિઃ કુદાસઃ
કુલાચારહીનઃ કદાચારલીનઃ ।
કુદૃષ્ટિઃ કુવાક્યપ્રબન્ધઃ સદાહં
ગતિસ્ત્વં ગતિસ્ત્વં ત્વમેકા ભવાનિ ॥૫॥

ગુજરાતી અર્થ : હું ખરાબ કર્મવાળો, કુસંગતમાં રહેવાવાળો, દુર્બુદ્ધિ, કુટેવોને ગુલામ, કુળને શોભે તેવા આચાર વગરનો, દુરાચારમાં પરોવાયેલ, ખરાબ દ્રષ્ટિવાળો, અયોગ્ય શબ્દો બોલવાવાળો છું. હે માઁ ભવાની ! હવે તો તમે જ એકમાત્ર મારું શરણ છો.

પ્રજેશં રમેશં મહેશં સુરેશં
દિનેશં નિશીથેશ્વરં વા કદાચિત્ ।
ન જાનામિ ચાન્યત્ સદાહં શરણ્યે
ગતિસ્ત્વં ગતિસ્ત્વં ત્વમેકા ભવાનિ ॥૬॥

ગુજરાતી અર્થ : હું બ્રહ્મા, વિષ્ણુ, શિવ, ઇન્દ્ર, સૂર્ય, ચંદ્ર અથવા અન્ય કોઈ દેવતાઓને જાણતો નથી. હંમેશા શરણ આપનાર હે ભવાની ! તમે જ મારી એકમાત્ર ગતિ છો.

વિવાદે વિષાદે પ્રમાદે પ્રવાસે
જલે ચાનલે પર્વતે શત્રુમધ્યે ।
અરણ્યે શરણ્યે સદા માં પ્રપાહિ
ગતિસ્ત્વં ગતિસ્ત્વં ત્વમેકા ભવાનિ ॥૭॥

ગુજરાતી અર્થ : હે શરણે આવેલાનું રક્ષણ કરનારી ! વિવાદ, વિષાદ, પ્રમાદ, પ્રવાસ, જળ, અગ્નિ, પર્વત, શત્રુ, વન સર્વની વચ્ચે સદાય મારું રક્ષણ કરજો. હે માઁ ભવાની ! તમે જ એકમાત્ર મારી ગતિ છો.

અનાથો દરિદ્રો જરારોગયુક્તો
મહાક્ષીણદીનઃ સદા જાડ્યવક્ત્રઃ ।
વિપત્તૌ પ્રવિષ્ટઃ પ્રનષ્ટઃ સદાહં
ગતિસ્ત્વં ગતિસ્ત્વં ત્વમેકા ભવાનિ ॥૮॥

ગુજરાતી અર્થ : હે દેવી ! હું હંમેશ જ અનાથ, દરિદ્ર, વૃદ્ધાવસ્થાથી જીર્ણ, રોગી, અતિદુર્બળ, દીન, જડ, વિપત્તિઓથી વીંટળાયેલો, પાયમાલ થઈ ગયેલ છું. હે માઁ ભવાની ! તમે જ એક માત્ર મારું શરણ છો.

॥ ઇતિ શ્રીમદાદિશંકરાચાર્ય વિરચિતં ભવાન્યષ્ટકં સમાપ્તમ્ ॥

Bhavani Ashtakam Lyrics | भवानी अष्टकम | Durga Stotram | Adi Shankaracharya

Bhavani Ashtakam is a popular hymn composed by Adi Shankaracharya on Goddess Bhavani, who is known for her protection and merciful nature. The Lyrics of this hymn have an in-depth meaning that which explains, I don’t have anyone or anything other than you, the divine mother Bhavani to protect in all difficult situations.

The Lyrics of the Bhavani Ashtakam are also composed in a simple way yet give a great meaning that touches everyone’s heart at the same time improving devotion, as well as reminding us that Goddess Bhavani is there to protect and uplift from problems. The beautiful composition is dedicated to the feet of Maa Bhagvati. This strota Bhavani Ashtakam is not only divine but fills one with devotion and love.

Benefits of Bhavani Ashtakam – भवानी अष्टकम के फायदे

  • भवानी अष्टकम देवी भवानी की स्तुति में रचा गया स्तोत्र है। माना जाता है कि भवानी अष्टकम का पाठ या जप करने से भक्त को कई लाभ मिलते हैं।
  • अष्टकम देवी भवानी के साथ भक्ति और जुड़ाव की गहरी भावना को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  • देवी भवानी को अक्सर दैवीय शक्ति और सुरक्षा का अवतार माना जाता है। माना जाता है कि भवानी अष्टकम का पाठ करने से उनकी दिव्य उपस्थिति का आह्वान किया जाता है और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है।
  • यह स्तोत्र देवी भवानी की कृपा और आशीर्वाद का आह्वान करता है
  • ऐसा माना जाता है कि भवान्यष्टकस्तोत्रम् जीवन में नकारात्मक प्रभावों, बाधाओं और कठिनाइयों से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • भवानी अष्टकम भक्तों को आंतरिक शक्ति, साहस और निडरता की भावना से प्रेरित करता है।
  • भवानी अष्टकम आध्यात्मिक विकास और परिवर्तन के साधन के रूप में कार्य करता है। यह साधकों को उनकी चेतना का विस्तार करने में मदद करता है।
  • माना जाता है कि भक्तिभाव से भवानी अष्टकम का पाठ करने से बाहरी और आंतरिक दोनों तरह की नकारात्मक ऊर्जाएं दूर हो जाती हैं।
  • भवानी अष्टकम के पाठ से उत्पन्न कंपन का मन पर शांत और सुखदायक प्रभाव पड़ता है। यह तनाव, चिंता और मानसिक अशांति को कम करने, आंतरिक शांति और शांति को बढ़ावा देने में मदद करता है।

भवानी अष्टकम का महत्व – Importance of Bhavani Ashtakam

Bhavani Ashtakam में विशेष रूप से देवी भवानी की पूजा में बहुत महत्व रखता है। यहां कुछ प्रमुख कारण बताए गए हैं कि क्यों भवानी अष्टकम को महत्वपूर्ण माना जाता है:

  • भवानी अष्टकम देवी भवानी की स्तुति में रचा गया एक शक्तिशाली पवित्र स्तोत्र है। यह भक्तों के लिए देवी भवानी के प्रति अपना प्रेम, श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक साधन है।
  • Bhavani Ashtakam का पाठ या जप करके, भक्त एक गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित कर सकते हैं
  • माना जाता है कि यह अष्टकम देवी भवानी की उपस्थिति और आशीर्वाद का आह्वान करता है।
  • जीवन में नकारात्मक प्रभावों, बाधाओं से और देवी भवानी की सुरक्षा पाने के लिए भवानी अष्टकम का पाठ किया जाता है।
  • भवान्यष्टकस्तोत्रम् मन को शुद्ध करने, विनम्रता और समर्पण जैसे गुणों को बढ़ावा देने और प्रेम की भावना पैदा करने में मदद करता है।
  • भवानी अष्टकम भक्तों को करुणा, शक्ति, निर्भयता और ज्ञान जैसे दिव्य गुणों का अनुकरण करने के लिए प्रेरित करता है।

भवानी अष्टकम का पाठ कब करना चाहिए

Bhavani Ashtakam का पाठ श्रद्धा के अनुसार किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन कुछ समय ऐसे भी होते हैं जिन्हें अधिक शुभ माना जाता है।

  • सुबह: कई भक्त सुबह के समय Bhavani Ashtakam का पाठ करना पसंद करते हैं। माना जाता है कि इस भवान्यष्टकस्तोत्रम् के पाठ के साथ दिन की शुरुआत करने से देवी भवानी का आशीर्वाद और उपस्थिति प्राप्त होती है, जिससे आने वाले दिन के लिए एक सकारात्मक और शुभ स्वर स्थापित होता है।
  • नवरात्रि के महीने के दौरान: भवानी अष्टकम देवी भवानी को समर्पित त्यौहारों के दौरान या नवरात्रि (दिव्य स्त्री की पूजा की नौ रातें) के दौरान विशेष महत्व रखता है।
  • दुर्गा पूजा के दिन: यह देवी दुर्गा को समर्पित सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है, जो भवानी का एक रूप है। कहा जाता है कि इस दिन भवानी अष्टकम का जाप करने से बड़ी कृपा मिल सकती है।
  • प्रतिदिन: कई भक्त देवी भवानी की दिव्य ऊर्जा का सम्मान करने और उनसे जुड़ने के लिए प्रतिदिन पाठ करते हे भवानी अष्टकम का जाप देवी भवानी से जुड़ने और उनके आशीर्वाद का अनुभव करने का एक शक्तिशाली तरीका है। यदि आप सुरक्षा, मार्गदर्शन, शक्ति या बाधाओं को दूर करना चाहते हैं, तो आप देवी भवानी से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन निर्धारित समय पर पाठ कर सकते हैं।

इस भवानी अष्टकम को नियमित भक्ति अभ्यास के हिस्से के रूप में शामिल किया जा सकता है। आप इसे दैनिक, साप्ताहिक या विशिष्ट दिनों में पढ़ना चुन सकते हैं जो आपके लिए व्यक्तिगत महत्व रखते हैं।

FAQ For Bhavani Ashtakam Lyrics :

Who composed the Bhavani Ashtakam

The Bhavani Ashtakam was composed by the great Indian saint and poet Adi Shankaracharya, who lived in the 8th century CE. He is considered to be one of the greatest philosophers and theologians in the history of India.

What is the Bhavani Ashtakam?

The Bhavani Ashtakam is a devotional hymn in Hinduism that is dedicated to the goddess Bhavani, who is considered to be a form of the goddess Durga or Kali. The Ashtakam is a poem consisting of eight verses and is considered to be a powerful devotional hymn to invoke the blessings of the goddess.

How many times should the Bhavani Ashtakam be recited?

There is no specific rule for how many times the Bhavani Ashtakam should be recited. It can be recited as many times as one wishes, but it is often recommended to recite the hymn 108 times, which is considered a sacred number in Hinduism.

What are the benefits of reciting the Bhavani Ashtakam?

Reciting the Bhavani Ashtakam is believed to bring blessings, protection, and blessings from the goddess Bhavani. It is also believed to help one overcome obstacles, bring success and prosperity and to bring spiritual growth and enlightenment.

निष्कर्ष:

दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि “भवान्यष्टकम्‌” Bhavani Ashtakam Lyrics का यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है |

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