रामायण भजन | वन वन भटके राम – Van Van Bhatke Ram Ramayan Song

इस Article में आपको वन वन भटके राम लिरिक्स – रामायण का हिंदी और English वर्शन भी दिया है Ramayan Bhajan Van Van Bhatake Ram song from ramayan ramanand sagar. Song sung by Mohmmad Aziz. music composed by ravinndra jain. Produced & Directed by Ramanand Sagar

Virah Vyatha Se Vyatit Dravit Ho Van Van Bhatke Ram Song Detail:

सीरियल / Serialरामायण रामानंद सागर कृत (Ramayan Ramanand Sagar)
निर्देशक / Directorरामानंद सागर (Ramanand Sagar)
संगीत / Musicरवींद्र जैन (Ravindra Jain)
मूल प्रसारण / Original release२५ जनवरी १९८७ – ३१ जुलाई १९८ / 25 January 1987 – 31 July 1988
मूल चैनल/ Original networkदूरदर्शन नेशनल (DD National)
पटकथा और संवाद / Screenplay & Dialoguesरामानंद सागर (Ramanand Sagar)
छायांकन / Cinematographyअजित नाइक (Ajit Naik)
निर्माता / Producersरामानंद सागर / आनंद सागर / मोती सागर (Ramanand Sagar / Aanand Sagar / Moti Sagar)
संपादक / Editorसुभाष सहगल (Subhash Sehgal)
Cast / पात्रअरुण गोविल, दीपिका चिखलिया, सुनील लहरी, अरविंद त्रिवेदी, दारा सिंह (Arun Govil, Deepika Chikhalia, Sunil Lahri, Arvind Trivedi, Dara Singh)

    Ramayan Bhajan Van Van Bhatake Ram Lyrics in Hindi (वन वन भटके राम)

आश्रम देखि जानकी हीना
भये बिकल जस प्राकृत दीना

विरह व्यथा से,व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम,बन बन भटके राम,
अपनी सिया को, प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम, विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो,बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम,

कुंजन माहि ना सरिता तीरे,
विरह बिकल रघुवीर अधिरे,
हे खग मृग हे मधुकर शैनी,
तुम देखी सीता मृगनयनी,
वृक्ष लता से जा से ता से,
पूछत डोले राम, बन बन भटके राम,
अपनी सिया को, प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम, विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो, बन बन भटके राम,
बन बन भटके राम,

फागुन खानी जानकी सीता,
रूप शील व्रत नाम पुनिता,
प्राणाधिका घनिष्ट सनेही,
कबहु ना दूर भई वैदेही,
श्री हरी जु श्री हिन सिया बिन,
ऐसे लागे राम,
बन बन भटके राम, अपनी सिया को,
प्राण पिया को, पग पग ढूंढे राम,
विरह व्यथा से, व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम, बन बन भटके राम,

विरह व्यथा से, व्यतीत द्रवित हो,
बन बन भटके राम, बन बन भटके राम,
अपनी सिया को, प्राण पिया को,
पग पग ढूंढे राम, विरह व्यथा से,
व्यतीत द्रवित हो, वन वन भटके राम,
बन बन भटके राम,

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“विरह व्यथा से व्यतीत द्रवित हो वन वन भटकते राम” रामायण एक बहुत ही प्रसिद्द टेलीविजन पौराणिक श्रृंखला है, जो 1987 और 1988 के बीच डीडी नेशनल पर प्रसारित, रामानंद सागर द्वारा निर्मित, लिखित और निर्देशित है। माता सीता की खोज में श्री राम ढूँढने के लिए वन वन में भटकते हुए दुखी होते रहते हैं।

हे राम अयोध्या छोड़ कर वन मत जाओ

विरह व्यथा से व्यतीत द्रवित हो वन वन भटकते राम | Virah Vyatha Se Vyatit Dravit Ho Van Van Bhatke Ram

निष्कर्ष 

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