महादेव कौन है ? महादेव को समझने के लिए हमे सब से पहले त्रिदेवों को समझना होगा ब्रह्मा विष्णु महेश अर्थात महादेव !ब्रह्मा है संसार के रचिता ! विष्णु संसार के संचालन कर्ता और महादेव संसार के संहार करता ! जो विनाश कर संसार को संतुलित रखते है !
महादेव का जन्म कब हुआ ?
वो अजन्मे है उनका न आदि है न अंत है ! वो विधियो के तीर्थ है अविनाशी है विश्वनाथ है कालोपरी है पंच महाभूतों के नाथ भूतनाथ है
कहाँ रहते है महादेव ?
कैलाशपति है किन्तु सारा संसार उनका निवास स्थान है सर्वयापी है वो सभी कारणों के प्रमुख काऱण है महायोगी है वैरागी है अगर वो वैरागी है इसका अर्थ उनका कोई परिवार नहीं है ?
उनका परिवार है तोह वो वैरागी कैसे क्योंकि वो परमानद की स्थिति में रहते है सदा और उनकी यही परमानद की अनुभवति संसार के लिए आवश्यक है और इस परमानन्द को संसार के प्रसारित करने के लिए शिव और शक्ति मिलन आवश्यक था और फिर महादेव और सती का विवाह हुआ
महादेव कौन है ? महादेव वो है जो नही और जो नही है वो महादेव है !
सती का शक्तिपीठ से कोइए सम्बन्ध नही है अभी तोह सती ही शक्तिपीठ है ! एक बार माता सती ने अपने पिता दक्ष के यग में जाने का हट किया किन्तु महादेव ने वहाँ जाने से मना किया किन्तु वो नही मानी अंत वो अपने पिता के यग में चली गई जहाँ उनका और महादेव का बहुत अपमान हुआ अंत उन्होंने उसी यग के अपने प्राण त्याग दिए !
पृथ्वी की जननी सती का शरीर जब तब पृथ्वी में समाहित नही होता तब तक सती के प्रति शिव की अनुरक्ति का अंत नही होगा ! इस लिए भगवान् विष्णु ने सती के शरीर को काटने के लिए अपना सुदर्शनचक्र का प्रयोग किया ! जहाँ जहाँ सती के अंग गिरे वहां वहां शक्तिपीठ की स्थापना हुए और वहां भगवान् शिव ने अपना एक भैरव रक्षक के रूप में विधमान होगा
महादेव का प्रथम अवतार : वीरभद्र | Lord Shiva veerbhadhra avtar
महादेव का द्रितीय अवतार पिप्पलाद | Lord Shiva Piplaad avtar
शिव सती का मिलन
यदि शिव सती के मिलन का उद्देश्य संसार में परमानंद प्रसारित करना था तोह सती की मृतु उपरांत क्या यह उद्देश्य पूरा हुआ ?
आदि शक्ति का पुर्नजन्म हुआ देवी पारवती के रूप में और देवी पारवती की यात्रा अत्यंत कठिन थी क्योंकि उनको महादेव को साधना से बाहर निकलना था ! जब महादेव साधना से बहार नही आए तोह देवी पारवती वर्षो तक महादेव की साधना में लीन हो गई !
जिसके बाद महादेव साधना से बहार आए और फिर महादेव और पारवती का विवाह सम्पन हुआ और वो अपने परिवार के साथ कैलाश पर निवास करते है अपने प्रिय भक्त नंदी गणप्रेत और दो पुत्र कार्तिकेय और गणेश समय के इस अनन्त घटनाचक्र में शिव और शक्ति सदैव साथ रहेगे और उन्हें साथ आना ही होगा संसार के उधार के लिए
निष्कर्ष:
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