दोस्तों आप सभी ने इंद्रजीत का नाम तो सुना ही होगा रामायण में जिसने श्रीराम और लक्ष्मण को नागपाश में बांध लिया था आज इस आर्टिक्ल में हम मेघनाद वध रामायण के विषय में आपको बताएँगे
कई लोग अपनी वफ़ादारी एवं अपनों के प्रति निष्ठा के कारण विलेन बन जाते हैं. ऐसा ही एक पात्र रामायण में भी था जिसे हम मेघनाथ या इंद्रजीत के नाम से जानते हैं.दोस्तों इस वीडियो में हम रावण पुत्र मेघनाद के बारेमे बताएँगे
सबसे पहला :
मेघनाथ नाम क्यों पड़ा?
दोस्तों रावण पुत्र का जन्म हुआ, तब उसके रोने की आवाज़़ बिजली के कड़कने जैसी थी. इस आवाज़ के कारण ही रावण ने अपने पुत्र का नाम मेघनाथ रखा था, जिसका मतलब होता है बिजली
दूसरा सवाल :
इंद्रजीत नाम क्यों पड़ा ?
एक बार मेघनाद ने देवराज इंद्र पर विजय हासिल कर उन्हें बंदी बना लिया था। परमपिता ब्रह्माजी की आज्ञा के कारण उसने इंद्र को छोड़ दिया। इसलिए मेघनाद को इंद्रजीत भी केहते हे लेकिन मेघनाद ने इंद्र को मुक्त करने पर परमपिता ब्रह्माजी से अमरत्व का वरदान माँगा था किन्तु ये वरदान प्रकृति के नियम विरुध्द था
इसीलिए ब्रह्माजी ने उसे दूसरा वरदान दिया था की – कुलदेवी निकुंभला का त्रांत्रिक यज्ञ करने पर उस यज्ञ की अग्नि से उसके लिए घोड़े सहित रथ निकलेगा, जिन पर सवार वह अजेय रहेगा लेकिन यदि वह यज्ञ पूरा नहीं हो पाया तो वह युद्ध में मारा जायेगा। ऐसा ब्रह्मान्जी ने कहा था
दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने सिखाई थी युद्ध विद्या
दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने मेघनाथ को कई दिव्यास्त्र का ज्ञान भी दिया, जिससे वह और भी शक्तिशाली योद्धा बन गए थे | मेघनाद ने हनुमान जी एवं प्रभु श्रीराम को भी परास्त किया था | अशोकवाटिका में हनुमानजी ने जब अक्षय कुमार का वध किया था तब हनुमान को पकड़ने के लिए रावण ने मेघनाद को भेजा था |
सबसे शक्तिशाली हनुमान जी को भी इंद्रजीत ने ब्रह्मपाश में बांध लिया था हालांकि हनुमानजी ने परमपिता ब्रह्माजी का मान रखने के लिए बंदी बन गए थे |इंद्रजीत ने भगवान राम को भी युद्ध में हरा दिया था. उसने अपनी मायावी शक्ती नागपाश से उन्हें बेहोश कर दिया था |
इंद्रजीत ने लक्ष्मण को दो बार हराया | इंद्रजीत ने अपनी मायावी शक्तियों के सहारे लक्ष्मण को युद्ध में दो बार पराजित किया. दूसरी बार तो लक्ष्मण मृत्यु के करीब पहुंच गए थे, तब उन्हें बचाने के लिए हनुमानजी समय पर संजीवनी लेकर आए थे.
फिर अंतिम चरण में इंद्रजीत ने युद्ध में विजय प्राप्त करने हेतु ब्रह्माजी के वरदान अनुसार कुलदेवी निकुंभला का तांत्रिक यज्ञ किया लेकिन विभीषण जी की सहायता से प्रभु श्रीराम की सेना ने वह यज्ञ भग कर दिया था
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इस यज्ञ के भग होने पर इंद्रजीत को बहुत क्रोध आया उसने लक्ष्मण से बहुत ही भयानक युद्ध किया युद्ध में जब लक्ष्मण जी इंद्रजीत पर भारी हो गए तब इंद्रजीत ने अपने अंतिम तीन महा अस्त्रों का प्रयोग किया
मेघनाद के तीन अस्त्र : ब्रह्मास्त्र, पाशुपतास्त्र, वैष्णव अस्त्र
सबसे पहले उसने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया । परिणाम स्वरूप ब्रह्मास्त्र लक्ष्मण जी के सामने निस्तेज होकर वापस लौट आया । फिर उसने लक्ष्मण जी पर भगवान शिव का पाशुपतास्त्र का प्रयोग किया परंतु लक्ष्मण जी के प्रणाम करने पर वह भी लुप्त हो गया । फिर अंत में उसने भगवान विष्णु का वैष्णव अस्त्र लक्ष्मण जी पर प्रयोग किया किन्तु वैष्णवास्त्र भी लक्ष्मण जी की परिक्रमा करके लौट आया ।
ये देखकर इंद्रजीत समज गए थे की लक्ष्मण जी एक साधारण नर नहीं स्वयं भगवान का अवतार है बाद मे इंद्रजीत ने अपने पिता रावण को भी ये बात बताई लेकिन रावण के न मानने पर भी इंद्रजीत ने पिता का साथ नहीं छोड़ा इंद्रजीत को ये पता चल गया था कि इस युद्ध को जीतना नामुमकिन है उसकी मृत्यु निश्चित हे
Ramayan Meghnaad Vadh
युद्ध के अंत में लक्ष्मण जी ने भगवान श्री राम का नाम लेकर एक ऐसा बाण छोड़ा जिससे इंद्रजीत का शीश कटकर भगवान श्री राम के चरणों में पहुंच गया ।
मेघनाद पितृभक्त पुत्र था। राम स्वयं भगवान है यह पता चलने पर भी उसने पिता का साथ नही छोड़ा। मेघनाद की भी पितृभक्ति प्रभु राम के समान अतुलनीय थी । वो एक महान योद्धा की तरह इस युद्ध में लड़कर वीरगति को प्राप्त हुआ
इसीलिए भगवान् श्रीराम ने उनके मृत सव का सम्मान किया उन्हें रावण के पास सम्मान सहित भेज दिया ये वो योद्धा था जिसने अपनी वफ़ादारी और अपनों के प्रति निष्ठा के कारण अपने प्राण त्याग दिए
मेघनाद के महाअस्त्र – ब्रह्मास्त्र पाशुपतास्त्र वैष्णवास्त्र | मेघनाद इंद्रजीत नाम का रहस्य Ramayan
Meghnaad Vadh – Ramayan Ramanand Sagar :
- 00:18 मेघनाद नाम क्यों पड़ा ?
- 00:33 इंद्रजीत नाम क्यों पड़ा ?
- 01:14 शुक्राचार्य ने सिखाई धनुर्र विद्या
- 01:25 मेघनाद ने हनुमानजी को बंदी बनाया
- 02:39 मेघनाद ब्रह्मास्त्र चलाया Brahmastra
- 02:49 पाशुपतास्त्र Pashupatastra
- 02:57 नारायणास्त्र Naryanastra
- 03:27 Ramayan Meghnaad Vadh रामायण मेघनाद वध
निष्कर्ष :
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