नमस्कार दोस्तों आप सभी का स्वागत है आज मैं आपको संदीप माहेश्वरी द्वारा कही गयी प्रेरणात्मक कहानी डर को कैसे दूर करे ? Be Fearless by Sandeep Maheshwari बताऊंगा और मुझे पूरा भरोसा है की आप इससे जरूर inspire होंगे तो चलिए इस motivational story को शुरू करते है
Powerful Motivational Story by Sandeep Maheshwari – डर को कैसे दूर करे
यह कहानी है दो दोस्तों की जो कि एक छोटे से गांव में रहते थे। एक बार वे दोनों किसी काम से शहर गए। वे वापस अपने गांव लौट रहे थे। अपने गांव पहुंचने के लिए उन्हें एक घने जंगल से गुजारना था। जब वे जंगल से गुजर रहे थे। एक दोस्त को प्यास लगी और वह पानी ढूंढते-ढूंढते रास्ता भटक गया।
Story by: | Sandeep Maheshwari |
Type: | Motivation Video by Sandeep Maheshwari |
Language: | Hindi |
Author: | Sandeep Maheshwari |
Topic: | डर को कैसे दूर करे |
थोड़ी देर बाद शाम हो गई और रात होने वाली थी। उन दोनों की नजर एक गुफा में पड़ी जो पेड़ों से चारों तरफ से घिरी हुई थी। उन्होंने सोचा यही जगह रात बिताने के लिए ठीक है तो दोनों ने कुछ लकड़ियां इकट्ठी की और गुफा के अंदर गए और आग जला कर बैठ गए।
रात का वक़्त था गुफा के अंदर आग जल रही थी। बाहर बिल्कुल अंधेरा था और कुछ जानवर की आवाजे आ रही थी। उन दोनों दोस्तों में से एक दोस्त अंदर ही अंदर डरने लगा क्योंकि उसने भूत प्रेतों की बहुत सी कहानियां सुनी रखी थी कि रात के वक्त जंगल में कुछ भयानक आत्माये भटकती रहती हैं।
और उनको कोई ऐसा भटका हुआ आदमी मिल जाए तो उन्हें नहीं छोड़ती। जब उसने भूत प्रेत की बात अपने दोस्त से कही तो वह हंसते हुए बोला क्या तुमने कभी कोई भूत बहुत देखा है। उसने कहा मैंने तो नहीं देखा लेकिन मेरी जान पहचान के कुछ लोग हैं जिन्होंने देखा है। उसके दोस्त ने उससे बोला कि ऐसी सुनी-सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करते।
अब तुम सो जाओ। मुझे भी नींद आ रही है। और ऐसा कह कर उसका दोस्त वही लेट गया। वह कुछ देर में सो गया लेकिन जो दोस्त अंदर से डरा हुआ था उसे नींद नहीं आ रही थी। उसे लगा कि शायद यहां पर कोई है जो छुपकर उन्हें देख रहा है।
वहा आग से कुछ परछाइयां भी बन रही थी और वह परछाइयों को देख कर भी डर रहा था। कुछ देर तक ऐसा चलता रहा लेकिन कुछ देर बाद उसे नींद आ गई। क्योंकि वह बहुत थका हुआ था। नींद आने के कुछ देर बाद ही उसे एक सपना आया। सपने में उसे एक भयानक परछाई अपने सामने आती हुई नजर आई।
परछाई में उसे एक हाथ नजर आया जिसके बड़े बड़े नाखून थे। वह हाथ उसी की तरफ बढ़ते चला आ रहा था। और जैसे ही उस परछाई का हाथ उसके गले तक पहुंचने वाला ही था, तब तक उसकी नींद टूट गई। उसने अपने दोस्त को देखा जो कि सो रहा था। उसे पकड़कर उठाया फिर उसने अपने दोस्त को बताया कि उसके साथ क्या हुआ।
उसका दोस्त फिर हंसने लगा और से कहने लगा कि अगर दोबारा परछाई दिखाई दे तो तुम वह कहना जो मैं तुमसे कहने वाला हूं। फिर देखते हैं परछाई तुम्हारा क्या करती है। तुम्हें अंदर ही अंदर बोलना है कि मैं तुम से नहीं डरता सामने आ। उसके दोस्त ने वैसा ही किया।
थोड़ी देर में दोबारा उसके सपने में वही परछाई नजर आई। उसने हिम्मत जुटाकर वही कहा कि मैं तुमसे नहीं डरता हिम्मत है तो सामने आ। धीरे-धीरे परछाई छोटी होने लगी और धीरे-धीरे वह परछाई दिखनी बंद हो गई।
सीख – ऐसा ही हमारी जिंदगी में होता है। हमारे अंदर जो डर है उससे हम जितने डरते रहते हैं, वह उतने बड़े होते जाते हैं। लेकिन अगर हम उनका सामना करते हैं तो दुनिया का ऐसा कोई भी डर नहीं है जो हमें डरा पाए।