रामायण रावण वध कहानी
रामायण के महायुद्ध में जब लक्ष्मण ने मेघनाद का वध कर दिया तब स्वयं लंकाधिपति रावण ने युद्ध करने का निश्चय किया और अपनी सेना को लेकर रणक्षेत्र में आया। राम और रावण के बीच घमासान युद्ध होने लगा। ब्रह्माजी ने भगवान् श्रीराम के लिए रथ का प्रबंध किया क्योकि रावण महामायावी योद्धा था
भगवान् श्रीराम और रावण के बीच भीषण युद्ध होने लगा युद्ध में जब प्रभु श्री राम रावण के सिर काट देते लेकिन तुरंत ही रावण के धड़ पर नया सिर आ जाता था। प्रभु श्री राम रावण की इस माया को देखकर हैरान थे। हर बार प्रभु श्रीराम रावण का सिर काटते थे तुरंत ही रावण के धड़ पर नया सिर आ जाता था
दसानन रावण की माया
रावण के वध का कोई उपाय न देखकर भगवान राम चिंता में पड़ गए। तब रावण का छोटा भाई विभिषण प्रभु श्रीराम के पास आकर कहने लगा कि हे रघुकुल सिरोमनि रावण महायोगी है। इसने अपने योग बल से प्राण को नाभि में स्थिर कर रखा है। रावण की मृत्यु उनकी नाभि में स्थित हे कृपया आप अपने दिव्य बाण रावण की नाभि में मारिए।मेघनाथ नाम क्यों पड़ा ?
रामायण दसानन रावण वध
प्रभु श्रीराम ने विभीषण की बात को मानकर अपने बाण से एक ऐसा तीर चला दिया जो रावण की नाभि में जाकर लगा जिससे रावण श्रीराम का जप करते हुए भूमि पर गिर पड़ा, इस तरह भगवान श्रीराम रावण का वध करने में सफल हुए।रावण और बाली का युद्ध
फिर प्रभु श्रीराम ने विभीषण को लंका का राजा बनाकर माता सीता सहित अयोध्या लौटे