महादेव का 15 अवतार सुरेश्वर – Lord shiva Sureshwara Avatar

Lord shiva Sureshwara Avatar

दोस्तों क्या आप महादेव का 15 अवतार सुरेश्वर अवतार के बारेमे जानना चाहते हे ? क्या आप भगवन शिव के अवतार के बारेमे जानना चाहते हे? तो आप सही आर्टिकल पढ़ रहे हो । आपसे अनुरोध है की कुछ समय दे कर पुरे लेख को अच्छी तरह से पढ़े ताकि आपको पूरी जानकारी मिल सके।

1Veerabhadra Avatar of Lord Shivaवीरभद्र: महादेव का प्रथम अवतार
2Piplaad Avatar of Lord Shivaपिप्पलाद: महादेव का द्वितीय अवतार
3Nandi Avatar of Lord Shivaनंदी: महादेव का तृतीय अवतार
4Bhairava Avatar of Lord Shivaभैरव: महादेव का चौथा अवतार
5Ashwatthama Avatar of Lord Shivaअश्वत्थामा: महादेव का पाँचवाँ अवतार
6Sharabha Avatar of Lord Shivaशरभावतार: महादेव का छठा अवतार
7Grihapati avatar of Lord Shivaगृहपति: महादेव का सातवाँ अवतार
8Durvasa avatar of Lord Shivaऋषि दुर्वासा: महादेव का आठवाँ अवतार
9Hanuman Avatar of Lord Shivaहनुमान: महादेव का नोवाँ अवतार
10Rishabha Avatar of Lord Shivaवृषभ: महादेव का दसवाँ अवतार
11Yatinath Avatar of Lord Shivaयतिनाथ: महादेव का ग्यारहवाँ अवतार
12Krishna Darshan Avatar of Lord Shivaकृष्णदर्शन: महादेव का बारहवाँ अवतार
13Avadhut Avatar of Lord Shivaअवधूत: महादेव का तेरहवाँ अवतार
14Bhikshuvarya Avatar of Lord Shivaभिक्षुवर्य: महादेव का चौदहवाँ अवतार
15Sureshwar Avatar of Lord Shivaसुरेश्वर: महादेव का पंद्रहवाँ अवतार
16Keerat Avatar of Lord Shivaकिरात: महादेव का सोलहवाँ अवतार
17Brahmachari avatar of Lord Shivaब्रह्मचारी: महादेव का सत्रहवाँ अवतार
18Sunatnartak avatar of Lord Shivaसुनटनर्तक: महादेव का अठारहवाँ अवतार
19Yaksheshwar Avatar of Lord Shivaयक्ष: महादेव का उन्नीसवाँ अवतार

महादेव का पंद्रहवा अवतार : सुरेश्वर – Sureshwara Avatar in hindi

महादेव के १९ अवतरराम से यह पंद्रहवा अवतार था जोकी उन्होंने आपने बाल्य भक्त उपमन्यु की तपस्या से प्रशन्न हो कर उसकी परीक्षा लेने के किये लिया था |भगवान् शिवजी का यह अवतार देवराज इन्द्र का अवतार भी कहा जाता हे | महादेव ने सुरेश्वर अवतार  यानिकि इन्द्र देव का रूप लिया था और उनके भक्त उपमन्यु की परीक्षा लिथि और अमर पद का वरदान दिया था | 

सुरेश्वर अवतार कथा :

व्‍याघ्रपाद नामक एक महाऋषि हो चुके हे | उनके दो पुत्र थे जन्मे एक का नाम था उपमन्यु और दूसरे का नाम था धौम्य | एक बार वे दोनों खेलते खेलते पवित्रत्मा मुनि के आश्रमजा पहुचे | वह उन्होंने देखा तेा एक गाय आपने बछड़े को दूध पीला रही थी | उपमन्यु ने गाय का दूध देखा तो वो इसे अमृत जेसा प्रतीत हुआ | पर उपमन्यु आश्चर्य में था क्युकी उन्होंने ऐसा दूध नहीं देखा था | 

अपने घर जा कर उपमन्यु ने अपनी माता से दूध-भात खिलाने की इच्छा व्यकत की | माता यह सुन पानी में आता मिला कर दोनों को दिया और कहा येलो दूध | यह देख उपमन्यु ने अपनी माता से कहा माता ये दूध नहीं हे | तो माता ने बताया पुत्र हमारे धर में हमारा पेट भरने जितना भी अनाज उपलब्ध नहीं हे और हमारी गाय जंगल के फल फूल खाती हे | हम अपनी गाय को अनाज खिला सके उतना धन नहीं हे हमारे पास | हमारी स्थिति अब शिवजी ही संभाले| यह सुन उपमन्यु ने माता से प्रश्न किया की शिवजी कोन हे | माता ने उतर देते कहा ” जो सबको वरदान देने हे | नित्‍य स्थिर रहने वाले और अविनाशी ईश्‍वर हैं| जिनकी कृपा से इच्‍छानुसार फल प्राप्त होते हे |  उपमन्यु यह सुन मोन रहा और माता अपना काम करने लगी| 

उपमन्यु और भगवान् शिव की कहानी

कुछ दिनों बाद उपमन्यु से अपनी माता से फिरसे भगवान शिव जी के बारे पूछा और कहा” माता भगवान शिव कैसे दिखते हे और में उन्हें कैसे पहचान सकता हु ?”माता ने यह सुन उपमन्यु को महादेव के बारे में विस्तार से सब कुछ बताया | माता की सारी बाटे सुन उम्पनयु ने महादेव की तपस्या करने का निर्णय लिया | 

तपस्या करने हेतु उपमन्यु हिमालय की और चला गया और वह कई वर्ष तक केवल बायें पैर के अंगुठे के अग्रभाग के बल पर खड़े रहकर उपमन्यु ने भगवान् शिवजी की कठोर तपस्या की | महादेव उसकी तपस्या से प्रशन्न थे परन्तु उन्होंने उपमन्यु की परीक्षा लेने का निर्णय किया | महादेव ने उपमन्यु की परीक्षा लेने के किये सुरेश्वर यानि इन्द्र देव का रूप धारण किया और उपमन्यु के पास पहुंचे | उपमन्यु के पास जा कर उनहोंने कहा “वत्स ,तुम महादेव की तपस्या कर रहे, हो मेरी सरन आओ में तुम्हें ईच्छानुशार वर दुगा |

शिव भक्त उपमन्यु कथा

इन्द्र देव भगवान शिव की तरह-तरह से निंदा करने लगे| यह सुन उपमन्यु से रहा नहीं गया और इन्द्र देव से कहा “में भगवान शिवजी का आराधक हु और उनकी इस प्रकार निंदा में नहीं सुन सकता | भगवान शिवजी की नींदा सुनते ही मेरा यह जन्म दुसित हो गया हे और में आपने यह शरीर के साथ महादेव की तपस्या नहीं कर सकता अतः में अपना यह जीवन यही समाप्त करता हु |” एतना कह कर उपमन्यु अपने प्राण त्यागने आगे बढ़ा | उसी समय भगवान् शिव अपने वास्तविक रूप में आये और उपमन्यु को अपने प्राण न त्यागने का आदेश दिया | और उपमन्यु को क्षीरसागर के समान एक अनश्वर सागर प्रदान किया।एवं अपने परम भक्त का स्थान दिया | 

महादेव का 16 अवतार : किरात | Lord Shiva kirat avatar

महादेव का 17 अवतार : सुनटनर्तक | Lord shiva suntantarka avatar

FAQ For Lord shiva Sureshwara Avatar:

महादेव का 15 वा अवतार कौन सा हे ?

महादेव का 15 अवतार सुरेश्वर हे

उपमन्यु किसका भक्त था ?

उपमन्यु भगवान् शिव का भक्त था । उपमन्यु परम तपस्वी व्याघ्रपाद मुनि के पुत्र थे। भगवान शिव की परम भक्ति के कारण ही इन्हें शिव पुत्र कार्तिक एवं गणेश के समान शास्त्रों एवं ज्ञान की प्राप्ति हुई।

निष्कर्ष
दोस्तों कमेंट के माध्यम से यह बताएं कि भगवान् शिव के “महादेव का 15 अवतार सुरेश्वर” का यह आर्टिकल आपको कैसा लगा | आप सभी से निवेदन हे की अगर आपको हमारी पोस्ट के माध्यम से सही जानकारी मिले तो अपने जीवन में आवशयक बदलाव जरूर करे फिर भी अगर कुछ क्षति दिखे तो हमारे लिए छोड़ दे और हमे कमेंट करके जरूर बताइए ताकि हम आवश्यक बदलाव कर सके | आपका एक शेयर हमें आपके लिए नए आर्टिकल लाने के लिए प्रेरित करता है | भगवान् शिव से जुडी कथाओ के बारेमे जानने के लिए हमारे साथ जुड़े रहे धन्यवाद ! 🙏 हर हर महादेव 🙏

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